पूर्ण ब्रह्म कबीर साहिब जी ने लगभग 600 साल पहले काशी में अवतरित हुवे थे उस समय अन्य को लीलाएं की थी इन दिनों से प्रभावित होकर काशी के लाखों लोग कबीर जी के शिष्य हो गए
परमेश्वर कबीर साहिब में जब काशी में अवतरित हुए थे उसी दिन से लिलाय सुरु हो गई थी परमेश्वर अपने लोक से सशरीर आए थे इसका प्रमाण अष्टानंद जी है जो रामानंद जी के शिष्य थे लहरतारा तालाब पर अपने साधना कर रहे थे उन्होंने परमेश्वर के प्रकाश के रूप में देखा क्योंकि उनके चर्म दृष्टि परमेश्वर के रूप को देख नहीं पाई नीरू नीमा द्वारा परमेश्वर को घर पर ले जाने के उपरांत 25 दिन तक प्रभु ने कुछ भी नहीं खाया तो वह डर गए उन्होंने अपने आराध्य देव शंकर को याद किया प्रमुख मेनाल से शंकर भगवान प्रकट हुए और मालिक की प्रेरणा से ही एक कुंवारी गाय मंगवाने की आज्ञा दी जिसका दूध परमेश्वर ने किया
परमेश्वर कबीर साहिब में जब काशी में अवतरित हुए थे उसी दिन से लिलाय सुरु हो गई थी परमेश्वर अपने लोक से सशरीर आए थे इसका प्रमाण अष्टानंद जी है जो रामानंद जी के शिष्य थे लहरतारा तालाब पर अपने साधना कर रहे थे उन्होंने परमेश्वर के प्रकाश के रूप में देखा क्योंकि उनके चर्म दृष्टि परमेश्वर के रूप को देख नहीं पाई नीरू नीमा द्वारा परमेश्वर को घर पर ले जाने के उपरांत 25 दिन तक प्रभु ने कुछ भी नहीं खाया तो वह डर गए उन्होंने अपने आराध्य देव शंकर को याद किया प्रमुख मेनाल से शंकर भगवान प्रकट हुए और मालिक की प्रेरणा से ही एक कुंवारी गाय मंगवाने की आज्ञा दी जिसका दूध परमेश्वर ने किया
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